


तीज व्रत में पूजा की हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है. चाहे हरितालिका तीज हो या फिर अन्य तीज पर्व, व्रतधारिणी महिलाएं बड़ी श्रद्धा और नियम से पूजन करती हैं। इन्हीं पूजन सामग्री और परंपराओं में एक अहम हिस्सा है फुलेरा, जिसके बिना तीज की पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फुलेरा होता क्या है और आखिर क्यों इसे इतना पवित्र माना गया है?हरतालिका तीज में फुलेरा केवल सजावट नहीं बल्कि आस्था और पवित्रता का केंद्र है। यह शिव-पार्वती की उपस्थिति का प्रतीक है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति का माध्यम है। यही कारण है कि इसे व्रत की आत्मा कहा गया है। बिना फुलेरा बांधे न तो मंडप सजता है और न ही तीज की पूजा पूर्ण होती है। इस तरह, फुलेरा केवल फूलों का मंडप नहीं बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और दांपत्य सौभाग्य का दिव्य प्रतीक है. यही कारण है कि पीढ़ियों से महिलाएं इसे बड़े मनोयोग से बनाती और सजाती आ रही हैं। व्रत की सच्ची पूर्णता तभी मानी जाती है जब फुलेरा स्थापित करके गौरी-शंकर का पूजन किया जाए।
क्या होता है फुलेरा?
फुलेरा (जिसे कुछ स्थानों पर फुलहरा भी कहा जाता है) दरअसल फूलों, पत्तियों और बांस से तैयार की गई पांच मालाओं वाली एक विशेष माला या झूला होती है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के विग्रह या मंडप में बांधा जाता है। यह पूजा का एक अत्यंत शुभ प्रतीक होता है।
फुलेरा का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया, तब उन्होंने जंगल में उपलब्ध फूलों और वनस्पतियों से फुलेरा बनाया और शिवजी की आराधना की। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
पांच मालाओं का रहस्य
फुलेरा की पाँच मालाएँ भगवान शिव की पाँच पुत्रियों — जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली — का प्रतीक मानी जाती हैं। यह पूजा में संपूर्णता और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है।
पूजा में इसका स्थान
हरतालिका तीज की पूजा में शिव-पार्वती की प्रतिमा के सामने फुलेरा बाँधा जाता है। जलधारी की जगह इस झूलेनुमा फुलेरे से ही आचमन और समर्पण किया जाता है। इसे बांधने से घर में सुख, समृद्धि और वैवाहिक सौहार्द का वास होता है।
क्या होता है यदि फुलेरा न हो?
मान्यता है कि बिना फुलेरे के पूजा करने से व्रत अधूरा रह जाता है और व्रती को पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक हरतालिका तीज व्रत में फुलेरा की अनिवार्यता बनी हुई है।
फुलेरा के लाभ
- वैवाहिक जीवन में सौहार्द और समर्पण बढ़ाता है
- संतान प्राप्ति और घर की सुख-शांति के लिए फलदायी
- पुण्यफल में वृद्धि और शिव-पार्वती का आशीर्वाद
- पर्यावरण से जुड़ाव और प्राकृतिक साधनों की पूजा
फुलेरा बनता है इन चीजों से:
- गेंदा, कमल, गुलाब, काश और त्यूड़ी के फूल
- बांस की पतली डंडियाँ
- हरी पत्तियाँ व जड़ी-बूटियाँ
- कलात्मक रंगीन धागे।